Into the wild 【2007】

‘मेरे पास एक आईडिया हैं पता हैं मेरी मॉम इकलौती औलाद थी और मेरे डैड भी इकलौते थे और मैं भी उनका इकलौता बेटा था तो मेरे गुजरने के बाद हमारी पीढ़ी का अंत हो जायेगा , मेरा परिवार खत्म हो जायेगा देखो अगर मैं तुम्हें गोद ले लूँ तुम्हें इतराज तो नहीं होगा मैं … पढ़ना जारी रखें Into the wild 【2007】

मैं अब भी खड़ा हूँ

  आकाश अगर ख़्वाब था जमीन  अगर जिम्मेदारी थी तो सामने सिर्फ तुम थी न तो मैं उड़ सका न तो मैं चल सका मैं सिर्फ खड़ा रहा और सामने सिर्फ सामने देखता रहा मैं सामने देखता रहा तब तक जब तक की एक रेत की गुबार न उठी और सबकुछ शांत न हो गया … पढ़ना जारी रखें मैं अब भी खड़ा हूँ

जीन-एक बेटी की कहानी

'जीन एडविन ग्राहम' से मिल आया हूँ, अफजल अहमद के द्वारा रचित 'जीन-एक बेटी की कहानी' सिर्फ जीन की कहानी नहीं है, ये कहानी है हमारे समाज की, ये कहानी है संजू के गर्लफोबिया की, ये कहानी है राजन के निःस्वार्थ प्रेम की, ये कहानी है दायरों में बंधी आंसू की, ये कहानी है रोहन-सुमित-ऋषभ … पढ़ना जारी रखें जीन-एक बेटी की कहानी

वेयरवुल्फ नितिन मिश्रा

नितिन सर की ये पहली नॉवेल पढ़ी और ये भी ठीक वैसी ही लगी जैसे नितिन सर के कॉमिक्स पढ़ते हुए लगता है, एकदम कहानी में खो जाने वाली फीलिंग नितिन सर अपने लंबे स्टोरीज के लिए जाने जाते हैं पर इस शार्ट नॉवेल के साथ भी इन्होंने पूरा न्याय किया है, नितिन सर के … पढ़ना जारी रखें वेयरवुल्फ नितिन मिश्रा

वो अजीब लड़की प्रियंका ओम

"एक लड़का और एक लड़की गहरे दोस्त होते है, जिसका मूल आधार लड़की का ज्यादा बोलना और लड़के की अधिक श्रवण क्षमता होती है।" वो अजीब लड़की 14 कहानियों का संग्रह का है, अंजुमन प्रकाशन से प्रकाशित ये किताब बेस्टसेलर की सूची में है पर यकीन मानिए ये किताब बेस्टसेलर से कंही ज्यादा है। अधिकतर … पढ़ना जारी रखें वो अजीब लड़की प्रियंका ओम

कोई मिटाता हो मुझे

नहीं आती हिचकियाँ एक भी जैसे हरकोई भुलाता हो मुझे पीछे मुड़ जाता हूँ बार-बार की शायद कोई बुलाता हो मुझे हवाएं बालों को सहलाती है जैसे कोई सुलाता हो मुझे शराब भी आ जाती है अपनेआप होंठो तक जैसे कोई पिलाता हो मुझे आँखे बंद होने पर भी वो दिखाई दी जैसे कोई दिखाता … पढ़ना जारी रखें कोई मिटाता हो मुझे

गलती हो गयी

हमें तो कल की ही बात लगती है पर वो बताती है, ये बात तो कब की बीती हो गयी मोहब्बत में मारने, खून-खराबा, मौत का तो रीती-रिवाज था पर अब बिना मारे, मरने की रीति हो गयी स्वाद तो बहुत मीठा था, पर अब मर रहे है लगता है अब तो जहर भी मीठी … पढ़ना जारी रखें गलती हो गयी

क्या फिर से इश्क़ करेगा तू ?

कँहा तक चलेगा तू ? क्या कहीँ रुकेगा तू ? जब आएंगी हसीन आँधियाँ तो क्या झुकेगा तू ? घुटने तक के पानी में क्या कभी डुबेगा तू ? तुझ पतंग में तो नही है कोई रस्सी फिर क्या उड़ेगा तू ? तुम दोनों की थी न, अलग-खूबसूरत दुनियां क्या फिर से ये ख्वाब देखेगा … पढ़ना जारी रखें क्या फिर से इश्क़ करेगा तू ?