बहुत मुश्किल होता हैं जब आप किसी के दुःख के बारे में लिखे और उनके दुःख में शामिल न हो जाये और किसी लेखक के लिए किसी किरदार के लिए दुखी होना सही भी नहीं है, क्योंकि अगर आप किरदार के दुःख में शामिल हो जायेंगे तो आप वो नहीं लिखेंगे जो सही है बल्कि आप वो लिखेंगे जो किरदार के अनुसार सही है। पर ‘हाफ विडो’ में लेखक पुनीत शर्मा ये मुश्किल काम करते हैं । वे कश्मीर पर लिखते हैं, कश्मीरियों पर लिखते हैं, सेना पर लिखते है और सैनिकों पर भी लिखते हैं पर कथित बुद्धिजीवियों की तरह सेना और सैनिकों को गरियाते नहीं हैं। वे सच्चाई लिखते हैं पर भड़काऊ नहीं।
कथानक हालांकि धीमी शुरुवात के साथ शुरू होती हैं और पचास पेज तक धीमी ही रहती हैं पर उसके बाद ये रफ्तार पकड़ती है और फिर काफी अच्छी चलती है।कहानी में बेनजीर हैं, आफ़राज हैं, कमांडर सिद्धान्त हैं, कश्मीर हैं और सेना हैं। अगर आपको कश्मीर , कश्मीरियों और सेना में दिलचस्पी हैं तो ये उपन्यास पढ़ सकते हैं।
और उपन्यास के साथ सबसे दिक्कत वाली बात है तो ये की अमेज़न पर ये 149₹ पर उपलब्ध हैं पर साथ में आपको 140₹ डिलीवरी चार्ज के रूप में भी देना होगा।
मोह्हबत, साहस, रोमांच और रहस्य पढ़ने वाले ये उपन्यास पढ़ सकते हैं। पुनीत सर जी ने काफी शानदार लिखा है इन सभी चीजों को।
9/10
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