धारा-३

चाँद के दाग ने एक बार और उसे प्रेम में असफल कर दिया वो बहुत दुखी था सब चाँदनी को चाहते चाँद को नहीं धारा भी दुखी थी 'चाँद' उसका पहला प्रेम था 'हाँ' चाँद के चमक ने ही धारा को आकर्षित किया था पर चाँद के दाग को वो झेल न पायी थी रात … पढ़ना जारी रखें धारा-३

धारा – २ #dhara #2 #poetry #love

धारा - २ उसका कमरा अब आगे आ गया क्योंकि उसकी बहनें कमरे खाली कर चली गयी थी , जो दोबारा नहीं लौटी । वो अब भी बर्फ थी , ठहरी हुई पर अब सबसे आगे थी अब वो दूर तक देखती थी रात्रि का समय था उसने ऊपर देखा ऊपर कुछ चमक रहा था … पढ़ना जारी रखें धारा – २ #dhara #2 #poetry #love