बहुत मुश्किल होता हैं जब आप किसी के दुःख के बारे में लिखे और उनके दुःख में शामिल न हो जाये और किसी लेखक के लिए किसी किरदार के लिए दुखी होना सही भी नहीं है, क्योंकि अगर आप किरदार के दुःख में शामिल हो जायेंगे तो आप वो नहीं लिखेंगे जो सही है बल्कि … पढ़ना जारी रखें हाफ विडो पुनीत शर्मा
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धारा-३
चाँद के दाग ने एक बार और उसे प्रेम में असफल कर दिया वो बहुत दुखी था सब चाँदनी को चाहते चाँद को नहीं धारा भी दुखी थी 'चाँद' उसका पहला प्रेम था 'हाँ' चाँद के चमक ने ही धारा को आकर्षित किया था पर चाँद के दाग को वो झेल न पायी थी रात … पढ़ना जारी रखें धारा-३
धारा – २ #dhara #2 #poetry #love
धारा - २ उसका कमरा अब आगे आ गया क्योंकि उसकी बहनें कमरे खाली कर चली गयी थी , जो दोबारा नहीं लौटी । वो अब भी बर्फ थी , ठहरी हुई पर अब सबसे आगे थी अब वो दूर तक देखती थी रात्रि का समय था उसने ऊपर देखा ऊपर कुछ चमक रहा था … पढ़ना जारी रखें धारा – २ #dhara #2 #poetry #love