अजीत भारती की 'घरवापसी' पढ़ कर खत्म की है, थोड़ा सा प्रेरित भी महसूस कर रहा हूँ, कुछ किताबें होती है जो आपको हल्का सा टच कर जाती है, 'घरवापसी' भी उनमें से एक है। उपन्यास के तीन मुख्य पात्र है मास्टरजी, रवि और बेगूसराय का एक गाँव। तीनों मुझे उपन्यास से जोड़ने में सफल … पढ़ना जारी रखें घरवापसी- अजीत भारती
टैग: #book
वो अजीब लड़की प्रियंका ओम
"एक लड़का और एक लड़की गहरे दोस्त होते है, जिसका मूल आधार लड़की का ज्यादा बोलना और लड़के की अधिक श्रवण क्षमता होती है।" वो अजीब लड़की 14 कहानियों का संग्रह का है, अंजुमन प्रकाशन से प्रकाशित ये किताब बेस्टसेलर की सूची में है पर यकीन मानिए ये किताब बेस्टसेलर से कंही ज्यादा है। अधिकतर … पढ़ना जारी रखें वो अजीब लड़की प्रियंका ओम
इश्क़ बकलोल देवेंद्र पाण्डेय
“अरे हां देख तो इलाज के पहले कितना बड़ा था, इलाज के बाद तो सूख गया, अरे भाई यह इलाज कर रहा है या और बीमार कर रहा है?” दिनेश ने प्रश्न किया। “अबे सालो रहोगे हमेशा बक@द के बक@द ही, इसे बीमारी कहते हैं, भगन्दर कहते हैं बे, हाईड्रोसील, जिस वजह से ‘उसमें’ … पढ़ना जारी रखें इश्क़ बकलोल देवेंद्र पाण्डेय
डार्क नाईट संदीप नैय्यर
'लड़कियों से ध्यान हट जाए, तो पढ़ाई-लिखाई में ध्यान आसानी से लग जाता है।' डार्क नाईट से 👆🏻 (हम जैसे लड़को के लिए पार लगाने वाली लाइन्स) कवर से डार्क नाईट मायथोलॉजिकल लगता हैं और चर्चाओं से एराटिक पर मुझे ये एडवेंचर्स भी लगा। 'डार्क नाईट' एक यात्रा हैं, एक अज्ञात मंज़िल की यात्रा, अपने … पढ़ना जारी रखें डार्क नाईट संदीप नैय्यर
कोई मिटाता हो मुझे
नहीं आती हिचकियाँ एक भी जैसे हरकोई भुलाता हो मुझे पीछे मुड़ जाता हूँ बार-बार की शायद कोई बुलाता हो मुझे हवाएं बालों को सहलाती है जैसे कोई सुलाता हो मुझे शराब भी आ जाती है अपनेआप होंठो तक जैसे कोई पिलाता हो मुझे आँखे बंद होने पर भी वो दिखाई दी जैसे कोई दिखाता … पढ़ना जारी रखें कोई मिटाता हो मुझे
गलती हो गयी
हमें तो कल की ही बात लगती है पर वो बताती है, ये बात तो कब की बीती हो गयी मोहब्बत में मारने, खून-खराबा, मौत का तो रीती-रिवाज था पर अब बिना मारे, मरने की रीति हो गयी स्वाद तो बहुत मीठा था, पर अब मर रहे है लगता है अब तो जहर भी मीठी … पढ़ना जारी रखें गलती हो गयी
धारा-३
चाँद के दाग ने एक बार और उसे प्रेम में असफल कर दिया वो बहुत दुखी था सब चाँदनी को चाहते चाँद को नहीं धारा भी दुखी थी 'चाँद' उसका पहला प्रेम था 'हाँ' चाँद के चमक ने ही धारा को आकर्षित किया था पर चाँद के दाग को वो झेल न पायी थी रात … पढ़ना जारी रखें धारा-३
इबादत इश्क़ की
दीवारों में, किताबों में, डेस्क-बेंचों में, कॉपीयों में हथेलियों में तुमने बहुत लिखा मेरा नाम. अब मेरी बारी है देखो ! मैंने तुम्हें लिखा है । वो सारी बातें जो अब, सिर्फ एक याद हैं वो सारी मुलाकातें जो अब, सिर्फ एक ख्वाब हैं स्मृतियों में जिंदा हैं अब भी वे पुराने दिन उन्हीं पुराने … पढ़ना जारी रखें इबादत इश्क़ की
मुखौटे
मुख़ौटे वो हँसने वाली चेहरा , वो मुस्कुराने वाली चेहरा, वो खिलखिलाने वाली चेहरा, वो हमेशा खुश रहने वाली चेहरा, वो चेहरा कही गुम हो गयी थी । पूछने पर उसने बताया 'वो सारे चेहरे, चेहरे नहीं मुख़ौटे थे जिसे मैंने उतारकर उस अंधरे कमरे में मौजूद उस छोटे से बक्से में ठूंस-ठूँस कर भर … पढ़ना जारी रखें मुखौटे
मन के छाले
मन के छालें 'जँहा तंगी होती है वँहा अक्सर तनाव आ ही जाता है' माँ-बाप ने सोचा था कि शादी कर देंगे तो लड़का कुछ न कुछ तो करने ही लगेगा पर लड़का कुछ न कुछ तब करता न जब कुछ करने को होता । गाँव में खेती-बाड़ी, गइया चराने के अलावा कोई काम न … पढ़ना जारी रखें मन के छाले