मैं अब भी खड़ा हूँ

  आकाश अगर ख़्वाब था जमीन  अगर जिम्मेदारी थी तो सामने सिर्फ तुम थी न तो मैं उड़ सका न तो मैं चल सका मैं सिर्फ खड़ा रहा और सामने सिर्फ सामने देखता रहा मैं सामने देखता रहा तब तक जब तक की एक रेत की गुबार न उठी और सबकुछ शांत न हो गया … पढ़ना जारी रखें मैं अब भी खड़ा हूँ

कोई मिटाता हो मुझे

नहीं आती हिचकियाँ एक भी जैसे हरकोई भुलाता हो मुझे पीछे मुड़ जाता हूँ बार-बार की शायद कोई बुलाता हो मुझे हवाएं बालों को सहलाती है जैसे कोई सुलाता हो मुझे शराब भी आ जाती है अपनेआप होंठो तक जैसे कोई पिलाता हो मुझे आँखे बंद होने पर भी वो दिखाई दी जैसे कोई दिखाता … पढ़ना जारी रखें कोई मिटाता हो मुझे

गलती हो गयी

हमें तो कल की ही बात लगती है पर वो बताती है, ये बात तो कब की बीती हो गयी मोहब्बत में मारने, खून-खराबा, मौत का तो रीती-रिवाज था पर अब बिना मारे, मरने की रीति हो गयी स्वाद तो बहुत मीठा था, पर अब मर रहे है लगता है अब तो जहर भी मीठी … पढ़ना जारी रखें गलती हो गयी

क्या फिर से इश्क़ करेगा तू ?

कँहा तक चलेगा तू ? क्या कहीँ रुकेगा तू ? जब आएंगी हसीन आँधियाँ तो क्या झुकेगा तू ? घुटने तक के पानी में क्या कभी डुबेगा तू ? तुझ पतंग में तो नही है कोई रस्सी फिर क्या उड़ेगा तू ? तुम दोनों की थी न, अलग-खूबसूरत दुनियां क्या फिर से ये ख्वाब देखेगा … पढ़ना जारी रखें क्या फिर से इश्क़ करेगा तू ?

क्या कभी वापस आ पायेगा वो ?

क्या कुछ भी खोज पायेगा वो ..? जो खोजने में ही खुद को खो जाता है क्या कुछ भी कर पायेगा वो ..? जो नींद न आने पर भी सो जाता है क्या कभी हंस पायेगा वो ..? जो बात-बात पर रो जाता है क्या गुलाब दे पायेगा वो ..? जो खुद नागफ़नी बो जाता … पढ़ना जारी रखें क्या कभी वापस आ पायेगा वो ?

धारा-३

चाँद के दाग ने एक बार और उसे प्रेम में असफल कर दिया वो बहुत दुखी था सब चाँदनी को चाहते चाँद को नहीं धारा भी दुखी थी 'चाँद' उसका पहला प्रेम था 'हाँ' चाँद के चमक ने ही धारा को आकर्षित किया था पर चाँद के दाग को वो झेल न पायी थी रात … पढ़ना जारी रखें धारा-३

इबादत इश्क़ की

दीवारों में, किताबों में, डेस्क-बेंचों में, कॉपीयों में हथेलियों में तुमने बहुत लिखा मेरा नाम. अब मेरी बारी है देखो ! मैंने तुम्हें लिखा है । वो सारी बातें जो अब, सिर्फ एक याद हैं वो सारी मुलाकातें जो अब, सिर्फ एक ख्वाब हैं स्मृतियों में जिंदा हैं अब भी वे पुराने दिन उन्हीं पुराने … पढ़ना जारी रखें इबादत इश्क़ की