अजीत भारती की 'घरवापसी' पढ़ कर खत्म की है, थोड़ा सा प्रेरित भी महसूस कर रहा हूँ, कुछ किताबें होती है जो आपको हल्का सा टच कर जाती है, 'घरवापसी' भी उनमें से एक है। उपन्यास के तीन मुख्य पात्र है मास्टरजी, रवि और बेगूसराय का एक गाँव। तीनों मुझे उपन्यास से जोड़ने में सफल … पढ़ना जारी रखें घरवापसी- अजीत भारती
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हाफ विडो पुनीत शर्मा
बहुत मुश्किल होता हैं जब आप किसी के दुःख के बारे में लिखे और उनके दुःख में शामिल न हो जाये और किसी लेखक के लिए किसी किरदार के लिए दुखी होना सही भी नहीं है, क्योंकि अगर आप किरदार के दुःख में शामिल हो जायेंगे तो आप वो नहीं लिखेंगे जो सही है बल्कि … पढ़ना जारी रखें हाफ विडो पुनीत शर्मा
वो अजीब लड़की प्रियंका ओम
"एक लड़का और एक लड़की गहरे दोस्त होते है, जिसका मूल आधार लड़की का ज्यादा बोलना और लड़के की अधिक श्रवण क्षमता होती है।" वो अजीब लड़की 14 कहानियों का संग्रह का है, अंजुमन प्रकाशन से प्रकाशित ये किताब बेस्टसेलर की सूची में है पर यकीन मानिए ये किताब बेस्टसेलर से कंही ज्यादा है। अधिकतर … पढ़ना जारी रखें वो अजीब लड़की प्रियंका ओम
इश्क़ बकलोल देवेंद्र पाण्डेय
“अरे हां देख तो इलाज के पहले कितना बड़ा था, इलाज के बाद तो सूख गया, अरे भाई यह इलाज कर रहा है या और बीमार कर रहा है?” दिनेश ने प्रश्न किया। “अबे सालो रहोगे हमेशा बक@द के बक@द ही, इसे बीमारी कहते हैं, भगन्दर कहते हैं बे, हाईड्रोसील, जिस वजह से ‘उसमें’ … पढ़ना जारी रखें इश्क़ बकलोल देवेंद्र पाण्डेय
डार्क हॉर्स, नीलतोत्प्ल मृणाल
'डार्क हॉर्स- एक अनकही दास्तां' एक बेहतरीन उपन्यास है। इसके बारे में कुछ कहना इसके बारे में कुछ न कहने के बराबर है। झारखण्ड, बिहार, यूपी में आर्ट्स पढ़ने वालों का एक ही लक्ष्य होता है, 'आईएएस'। मेरे भी मोहल्ले में कइ लोगो ने ये ख्वाब पाल रखा है और यँहा से कई छात्र मुखर्जीनगर … पढ़ना जारी रखें डार्क हॉर्स, नीलतोत्प्ल मृणाल
कत्ल करना मेरा पेशा है
मै चार साल पहले 12वीं में था और अपने स्कूल का टॉपर था, मेरे अब्बू एक अंग्रेजी स्कूल में साइंस के टीचर थे। पर अचानक एक दिन वे लापता हो गए, महीने भर से लापता रहने के बाद , पुलिस-नेता से उम्मीद खोने के बाद, पड़ोस वाले आयूब चाचा ने मोबाईल में मेरे अब्बू की … पढ़ना जारी रखें कत्ल करना मेरा पेशा है
कोई मिटाता हो मुझे
नहीं आती हिचकियाँ एक भी जैसे हरकोई भुलाता हो मुझे पीछे मुड़ जाता हूँ बार-बार की शायद कोई बुलाता हो मुझे हवाएं बालों को सहलाती है जैसे कोई सुलाता हो मुझे शराब भी आ जाती है अपनेआप होंठो तक जैसे कोई पिलाता हो मुझे आँखे बंद होने पर भी वो दिखाई दी जैसे कोई दिखाता … पढ़ना जारी रखें कोई मिटाता हो मुझे
विश्वास की गंध
वो नीम का पेड़ सालों से यही था, वो अब काफी मोटा हो गया था और उसकी टहनियाँ बहुत दूर-दूर तक फैली थी,वो नीम का पेड़ बहुत दूर तक छाँव देती थी। उसे याद नहीं था कि उसका जन्म कैसे हुआ और वो कैसे बड़ा हुआ,पर उसे याद था वो जैसे-जैसे बड़ा होते गया था … पढ़ना जारी रखें विश्वास की गंध
सूरज छिपने तक
सूरज छिपने वाला था और सूरज छिपने के साथ ही उसे भी छिपना पड़ता था, सूरज छिपने के साथ ही वो छिप जाती थी और उस अँधेरी रात में उसके छिपने के साथ ही कोई और ही बाहर आती थी। आज भी सूरज छिपने के साथ वो छिप गयी फिर रात में कोई और ही … पढ़ना जारी रखें सूरज छिपने तक
मुखौटे
मुख़ौटे वो हँसने वाली चेहरा , वो मुस्कुराने वाली चेहरा, वो खिलखिलाने वाली चेहरा, वो हमेशा खुश रहने वाली चेहरा, वो चेहरा कही गुम हो गयी थी । पूछने पर उसने बताया 'वो सारे चेहरे, चेहरे नहीं मुख़ौटे थे जिसे मैंने उतारकर उस अंधरे कमरे में मौजूद उस छोटे से बक्से में ठूंस-ठूँस कर भर … पढ़ना जारी रखें मुखौटे