आकाश अगर ख़्वाब था जमीन अगर जिम्मेदारी थी तो सामने सिर्फ तुम थी न तो मैं उड़ सका न तो मैं चल सका मैं सिर्फ खड़ा रहा और सामने सिर्फ सामने देखता रहा मैं सामने देखता रहा तब तक जब तक की एक रेत की गुबार न उठी और सबकुछ शांत न हो गया … पढ़ना जारी रखें मैं अब भी खड़ा हूँ
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इश्क़ बकलोल देवेंद्र पाण्डेय
“अरे हां देख तो इलाज के पहले कितना बड़ा था, इलाज के बाद तो सूख गया, अरे भाई यह इलाज कर रहा है या और बीमार कर रहा है?” दिनेश ने प्रश्न किया। “अबे सालो रहोगे हमेशा बक@द के बक@द ही, इसे बीमारी कहते हैं, भगन्दर कहते हैं बे, हाईड्रोसील, जिस वजह से ‘उसमें’ … पढ़ना जारी रखें इश्क़ बकलोल देवेंद्र पाण्डेय
डार्क नाईट संदीप नैय्यर
'लड़कियों से ध्यान हट जाए, तो पढ़ाई-लिखाई में ध्यान आसानी से लग जाता है।' डार्क नाईट से 👆🏻 (हम जैसे लड़को के लिए पार लगाने वाली लाइन्स) कवर से डार्क नाईट मायथोलॉजिकल लगता हैं और चर्चाओं से एराटिक पर मुझे ये एडवेंचर्स भी लगा। 'डार्क नाईट' एक यात्रा हैं, एक अज्ञात मंज़िल की यात्रा, अपने … पढ़ना जारी रखें डार्क नाईट संदीप नैय्यर
कोई मिटाता हो मुझे
नहीं आती हिचकियाँ एक भी जैसे हरकोई भुलाता हो मुझे पीछे मुड़ जाता हूँ बार-बार की शायद कोई बुलाता हो मुझे हवाएं बालों को सहलाती है जैसे कोई सुलाता हो मुझे शराब भी आ जाती है अपनेआप होंठो तक जैसे कोई पिलाता हो मुझे आँखे बंद होने पर भी वो दिखाई दी जैसे कोई दिखाता … पढ़ना जारी रखें कोई मिटाता हो मुझे
भोले बाबा – पार करेगा
भोले बाबा - पार करेगा महादेव जी का शिवगादी मंदिर मेरे घर से लगभग 26 km दूर है और महादेव जी का शिवगादी मंदिर गंगा जी से लगभग 60km दूर है, और अभी सावन मास है सावन मास यानि महाकाल जी के भक्तों का मास। हालाँकि दसवीं में अधितकर विद्यार्थी स्कुल नही आते, स्कुल में … पढ़ना जारी रखें भोले बाबा – पार करेगा
गलती हो गयी
हमें तो कल की ही बात लगती है पर वो बताती है, ये बात तो कब की बीती हो गयी मोहब्बत में मारने, खून-खराबा, मौत का तो रीती-रिवाज था पर अब बिना मारे, मरने की रीति हो गयी स्वाद तो बहुत मीठा था, पर अब मर रहे है लगता है अब तो जहर भी मीठी … पढ़ना जारी रखें गलती हो गयी
क्या फिर से इश्क़ करेगा तू ?
कँहा तक चलेगा तू ? क्या कहीँ रुकेगा तू ? जब आएंगी हसीन आँधियाँ तो क्या झुकेगा तू ? घुटने तक के पानी में क्या कभी डुबेगा तू ? तुझ पतंग में तो नही है कोई रस्सी फिर क्या उड़ेगा तू ? तुम दोनों की थी न, अलग-खूबसूरत दुनियां क्या फिर से ये ख्वाब देखेगा … पढ़ना जारी रखें क्या फिर से इश्क़ करेगा तू ?
क्या कभी वापस आ पायेगा वो ?
क्या कुछ भी खोज पायेगा वो ..? जो खोजने में ही खुद को खो जाता है क्या कुछ भी कर पायेगा वो ..? जो नींद न आने पर भी सो जाता है क्या कभी हंस पायेगा वो ..? जो बात-बात पर रो जाता है क्या गुलाब दे पायेगा वो ..? जो खुद नागफ़नी बो जाता … पढ़ना जारी रखें क्या कभी वापस आ पायेगा वो ?
धारा-३
चाँद के दाग ने एक बार और उसे प्रेम में असफल कर दिया वो बहुत दुखी था सब चाँदनी को चाहते चाँद को नहीं धारा भी दुखी थी 'चाँद' उसका पहला प्रेम था 'हाँ' चाँद के चमक ने ही धारा को आकर्षित किया था पर चाँद के दाग को वो झेल न पायी थी रात … पढ़ना जारी रखें धारा-३
इबादत इश्क़ की
दीवारों में, किताबों में, डेस्क-बेंचों में, कॉपीयों में हथेलियों में तुमने बहुत लिखा मेरा नाम. अब मेरी बारी है देखो ! मैंने तुम्हें लिखा है । वो सारी बातें जो अब, सिर्फ एक याद हैं वो सारी मुलाकातें जो अब, सिर्फ एक ख्वाब हैं स्मृतियों में जिंदा हैं अब भी वे पुराने दिन उन्हीं पुराने … पढ़ना जारी रखें इबादत इश्क़ की