उजबक की 'मैटीरियल हो बे !' पढ़ कर आज खत्म की । कहानी अरुण की है , अरुण की असफलता की है और अरुण की लक्ष्य की हैं । पुस्तक की रिलीज होने से पहले एक अंश पढ़ा था तभी से सोच रखा था कि इसे पढ़ना हैं , अरुण को पढ़कर ऐसा लग रहा … पढ़ना जारी रखें मैटीरियल हो बे ! – उजबक
श्रेणी: प्रेरक
घरवापसी- अजीत भारती
अजीत भारती की 'घरवापसी' पढ़ कर खत्म की है, थोड़ा सा प्रेरित भी महसूस कर रहा हूँ, कुछ किताबें होती है जो आपको हल्का सा टच कर जाती है, 'घरवापसी' भी उनमें से एक है। उपन्यास के तीन मुख्य पात्र है मास्टरजी, रवि और बेगूसराय का एक गाँव। तीनों मुझे उपन्यास से जोड़ने में सफल … पढ़ना जारी रखें घरवापसी- अजीत भारती
हाफ विडो पुनीत शर्मा
बहुत मुश्किल होता हैं जब आप किसी के दुःख के बारे में लिखे और उनके दुःख में शामिल न हो जाये और किसी लेखक के लिए किसी किरदार के लिए दुखी होना सही भी नहीं है, क्योंकि अगर आप किरदार के दुःख में शामिल हो जायेंगे तो आप वो नहीं लिखेंगे जो सही है बल्कि … पढ़ना जारी रखें हाफ विडो पुनीत शर्मा
डार्क हॉर्स, नीलतोत्प्ल मृणाल
'डार्क हॉर्स- एक अनकही दास्तां' एक बेहतरीन उपन्यास है। इसके बारे में कुछ कहना इसके बारे में कुछ न कहने के बराबर है। झारखण्ड, बिहार, यूपी में आर्ट्स पढ़ने वालों का एक ही लक्ष्य होता है, 'आईएएस'। मेरे भी मोहल्ले में कइ लोगो ने ये ख्वाब पाल रखा है और यँहा से कई छात्र मुखर्जीनगर … पढ़ना जारी रखें डार्क हॉर्स, नीलतोत्प्ल मृणाल
विश्वास की गंध
वो नीम का पेड़ सालों से यही था, वो अब काफी मोटा हो गया था और उसकी टहनियाँ बहुत दूर-दूर तक फैली थी,वो नीम का पेड़ बहुत दूर तक छाँव देती थी। उसे याद नहीं था कि उसका जन्म कैसे हुआ और वो कैसे बड़ा हुआ,पर उसे याद था वो जैसे-जैसे बड़ा होते गया था … पढ़ना जारी रखें विश्वास की गंध
सूरज छिपने तक
सूरज छिपने वाला था और सूरज छिपने के साथ ही उसे भी छिपना पड़ता था, सूरज छिपने के साथ ही वो छिप जाती थी और उस अँधेरी रात में उसके छिपने के साथ ही कोई और ही बाहर आती थी। आज भी सूरज छिपने के साथ वो छिप गयी फिर रात में कोई और ही … पढ़ना जारी रखें सूरज छिपने तक
मुखौटे
मुख़ौटे वो हँसने वाली चेहरा , वो मुस्कुराने वाली चेहरा, वो खिलखिलाने वाली चेहरा, वो हमेशा खुश रहने वाली चेहरा, वो चेहरा कही गुम हो गयी थी । पूछने पर उसने बताया 'वो सारे चेहरे, चेहरे नहीं मुख़ौटे थे जिसे मैंने उतारकर उस अंधरे कमरे में मौजूद उस छोटे से बक्से में ठूंस-ठूँस कर भर … पढ़ना जारी रखें मुखौटे
राशन
राशन राशन माँझी ददा बड़े खुश थे कि अब जब सबकुछ 'आनलाइन' हो जायेगा तो डीलरवा उससे कुछ ठग नहीं पायेगा । हालाँकि बावन साल के माँझी ददा को 'आनलाइन' का मतलब पता नहीं था , पर बगल के डमरूवा ने बताया था कि "ये ऐसी व्यवस्था हैं जिससे सरकार सीधे आप से जुड़ी रहेगी … पढ़ना जारी रखें राशन